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मछलियों का क़ानून

बिखरे मोती
बिखरे मोती
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तालाब में अठखेलियाँ करती रंगबिरंगी मछलियाँ के बीच मेरी दृष्टि एक बीमार सी मछली पर पड़ी जो बार – बार पानी से मुंह बाहर निकाल कर सांस लेने का प्रयास कर रही थी I उसके तैरने में भी अधिक तेज़ी नहीं थी I

मेरे देखते ही देखते अन्य मछलियों ने उस मछली के चारों तरफ चक्कर लगाने शुरू कर दिए और फिर अचानक ही उस पर हमला कर उसे मार डाला I कुछ ही देर में उस मछली का कोई भी अवशेष पानी में शेष नहीं था I

मछलियों की अपने साथी के प्रति इस तरह की हिंसा को देख मुझे बहुत क्रोध आया ; मैंने उन्हें फटकार लगाईं और भला बुरा कहा I

मेरी बात सुनकर एक मछली बोली , “ इसके पहले कोई मछली मरकर हमारे समाज में सडन पैदा करे, हम सब मिलकर उसे पहले ही समाप्त कर देते है ; हमारे लिए सामाजिक हित व्यक्तिगत हित से ज्यादा महत्वपूर्ण है न कि तुम्हारे समाज की तरह जहां व्यक्तिगत हित ही सर्वोपरि होते है I”

यह कहकर उसने उपेक्षा से मेरी ओर देखा और तैर कर दूर चली गई I

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