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धर्मव्यव्स्था

बिखरे मोती
बिखरे मोती
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एक विशाल सर्वधर्म सभा का आयोजन था I विभिन्न धर्मों के अनुयाई अपने धर्म और देवताओं की प्रशंसा में गीत गाते हुए इस सभा में भाग लेने आये I

धर्म चर्चा के दौरान दंभ से भरे विभिन्न धर्मों के धर्माधिकारी एवं ज्ञानी तर्कों द्वारा अपने – अपने धर्म एवं देवताओं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की पूरी कोशिश कर रहे थे I

उनके तर्कों को सुनकर लोग भी जोश में आ गए और वें भी आपस में तर्क वितर्क करने लगे I

धीरे–धीरे तर्क वितर्क की आवाज़ें तेज होने लगी I लोग एक दूसरे के धर्म और देवताओं को कोसने और गालियाँ देने लगे I लोगों ने मुठ्ठियाँ तानकर एक दूसरे को देख लेने की धमकी देना शुरू कर दिया और अचानक ही सभागार में भगदड़ मच गई I

कुछ लोग भगदड़ में कुचल कर मर गए ; कुछ जख्मी हो कर जमीन पर गिर पड़े और दर्द से कराहने लगे ; कुछ अपने स्वजनों से बिछड़ गए I

धर्माधिकारी और ज्ञानी जन तो अपने जीवन की चिंता करते हुए तुरंत ही सुरक्षित स्थानों पर चले गए I

इधर सभा स्थल पर बचे लोग अपने धर्म और देवताओं को भूल कर अब उस घड़ी को कोस रहे थे जिस घड़ी उन्होंने इस सभा में आने का निर्णय लिया था I

उधर देवता भी स्वर्ग में  बैठ कर अपने अनुयाइयों के कष्टों को लेकर बहुत चिंतित थे I

समय पूर्व की भांति ही अपनी निर्बाध गति से आगे बढ़ रहा था I

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