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नोटिस

बिखरे मोती
बिखरे मोती
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नौकरी में रहते हुए ही उन्होंने अपने लिए दो कमरों का एक मकान का बनवा लिया था।  इकलौते पुत्र को अपने ही शहर में नौकरी मिल जाने से वे बहुत खुश थे कि चलो उनके रिटायरमेंट के बाद बेटा भी साथ ही रहेगा I

बेटे की शादी हुई। धीरे– धीरे उसका परिवार बढ़ा। वे पत्नी के साथ उस छोटे से घर में सिमटते गए और फिर स्टोर रूम ही उन दोनों का कमरा बन गया । लेकिन वें फिर भी खुश थे कि चलो बेटा-बहू तो साथ हैं I

पर इधर कुछ दिनों से बहू हर समय जगह की कमी को लेकर शिकायत करती रहती थी I उसका कहना था कि बच्चे अब बड़ी कक्षाओं में आ गये हैं उन्हें पढ़ने के लिए अलग कमरा चाहिए I ले-देकर उसकी नज़र स्टोर रूम पर ही टिक जाती थी I वह लगातार पति को टोकती रहती कि कुछ करो।

पत्नी के दबाव के चलते एक दिन बेटे ने हिम्मत कर पिता से कहा, “ आप को तो मालूम है इस बार बड़े की इंटर की परीक्षा है ; ठीक से पढ़ाई करने के लिए उसे अलग जगह चाहिए I घर में ज्यादा जगह नहीं है, मैं सोच रहा था आप दोनों के रहने का इन्तेजाम कहीं और कर दूं । आपका खर्चा तो आपकी पेंशन से चल ही जायेगा I’’

बेटे की बात सुनकर माँ की आँखों में आँसू आ गए I कुछ पल के लिए वे भी सन्न रह गए I फिर सयंत हो कर बोले , “ बेटा, तुम ठीक कहते हो यह मकान अब तुम लोगों के लिए छोटा पड़ने लगा है। अच्छा तो यही रहेगा कि तुम अपने परिवार के लिए कोई बड़ा मकान ढूंढ लो ; हम दोनों के लिए तो यह दो कमरे ही काफी हैं I जहां तक हमारे खर्चे की बात है तो मेरी पेंशन है ही I”

अब बेटा स्तब्ध था जैसे मकान मालिक ने उसे घर खाली करने का नोटिस दे दिया हो। लेकिन वे अपने आप को काफी हल्का महसूस कर रहे थे।

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