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दोहरे मापदंड

बिखरे मोती
बिखरे मोती
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“बहन जी आज बहुत खुश नज़र आ रही हैं, क्या बात है, कमला ने मिसेज चड्ढा से पूछा ?”

“अरे बहन जी, बात ही खुशी की है, कल बेटी दामाद जी के साथ आई है I”

“ सभी लोगों के लिए महंगे – महंगे गिफ्ट लाई है I मेरे लिए सिल्क की साड़ी, अपने पापा के लिए सूट का कपड़ा और पता नहीं क्या – क्या I दामाद जी तो एक दम गाय है, मजाल है कि बेटी को किसी भी बात के लिए मना कर दे I”

“बहन जी, आप बहुत खुश किस्मत है जो इतना अच्छा दामाद मिला I लेकिन  आज आपकी बहू नहीं दिखलाई पड़ रही है ?”

“अरे बहन जी, महारानी को अगले सप्ताह अपने मायके जाना है इसीलिए अपने घर वालो के लिए महंगे – महंगे गिफ्ट खरीदने में जुटी है I जब हमारा अपना बेटा ही उसे को इस फ़िजूल खर्ची के लिए नहीं रोकता है तो किसी और को क्या दोष दें ; जोरू का गुलाम कहीं का !”

“ आप ही बताओ भला बेटी की ससुराल से भी कोई कुछ लेता है क्या ? हमने तो यह रिवाज अपने बेटे की ससुराल में ही देखा है , मिसेज चड्ढा ने मुंह बिचका कर कमला से कहा I”

कमला ने मुस्करा कर चुटकी लेते हुए कहा , “ हाँ बहन जी, बात तो आपकी सच है, बेटियों की ससुराल से भी कहीं कोई कुछ लेता है क्या  और वो भी  महंगे -२ गिफ्ट  ?”

कमला के होंठों पर  फ़ैली रहस्यमयी  सी  मुस्कान को देख कर  मिसेज चड्ढा के चेहरे पर अजीब सी उलझन के भाव उभर आये I

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