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यूपी में मुख्य राजनीतिक दल: एक अवलोकन (भाग-4)
उत्तर प्रदेश की चौथी मुख्य पार्टी कांग्रेस पार्टी हैI यह वही पार्टी है जिसका कभी पूरे देश में डंका बजता थाI अन्य पार्टियों के गिने चुने नेता ही इस पार्टी के उम्मीदवारों के सामने टिक पाते थेI आज पार्टी को चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ रहा है और भविष्य में इस बात का भी डर है कि कहीं यह पार्टी बिलकुल समाप्ति के कगार पर जा कर खड़ी न हो जाएI देश की आजादी के बाद शुरू-शुरू में जब इस पार्टी प्रदेश में शासन सँभाला तो इस पार्टी को ब्राह्मणों की पार्टी समझा जाता था और यह बात किसी हद तक ठीक भी थी क्योंकि इस पार्टी में अधिकतर ऊँचे पदों पर ब्राह्मण ही बैठे हुए थेI धीरे-धीरे इस पार्टी ने इस परंपरा को तोड़ा लेकिन इस परंपरा को तोड़ते–तोड़ते पता नहीं कब इस पार्टी पर केवल मुसलमानों के हित की परवाह करने वाली पार्टी का लेबल लग गयाI इस लेबल लगाने के पीछे मुख्य कारण इस पार्टी की केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा ज्यादातर मुसलिम समुदाय को लेकर ही सरकारी नीतियों का निर्धारण करना थाI इस पार्टी ने यह कहकर कि हिन्दू समाज मुसलिम समाज की उन्नति में बाधक है मुसलिम समुदाय को कुछ क्षेत्रों में विशेष रियायतें देने की शुरुआत की जिसके चलते देश में अन्दर –अन्दर एक सामाजिक विघटन की शुरुआत ने जन्म लिया I कांग्रेस पार्टी की ये प्रवृति पिछले डेढ़ दो दशकों में ज्यादा बढ़ीI पार्टी की इस प्रवृति के चलते वर्तमान में यह पार्टी केवल एक मुसलिम समुदाय की पार्टी बन कर रह गई है और सबसे बड़ी बात यह है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस बात को मानने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हैI शायद पार्टी की यही सोच उसे आने वाले राज्यों के चुनावों में समाप्ति की ओर धकेल देI जब तक कुछ अन्य पार्टियां मुसलमानों के पक्ष में खड़ी नहीं हुई थी तब तक यह पार्टी मुसलमानों के वोट के बलबूते चुनाव जीतती रही लेकिन जब अन्य कुछ दल जैसा सपा या बसपा सामने आये तो मुसलमानों के वोटों के बंट जाने से कांग्रेस को निरंतर हार का सामना करना पड़ाI
इस पार्टी का केवल नेहरू और इंदिरा गांधी परिवार के सदस्यों पर ही निर्भर हो जाना भी इस पार्टी के पतन का एक और मुख्य कारण हैI यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि यह पार्टी केवल एक पारिवारिक पार्टी बन कर रह गई हैI यह भी सत्य है कि राजीव गांधी के बाद इस परिवार से को कोई भी ऐसा चेहरा सामने नहीं आया जो इस पार्टी को देश की राजनीति में एक मजबूत आधार दे सकेI नेहरू गांधी परिवार के नेतृत्व में इस पार्टी की पिछले बीस वर्षों में इतनी बुरी हालत होने के बाद भी कांग्रेस के नेताओं का नेहरू गांधी परिवार पर बड़ा विश्वास होना इन नेताओं की सोच और इनकी दूर दृष्टि पर शंका पैदा करता हैI राहुल गांधी को देश ने एक बड़े नेता के रूप में कोई ज्यादा तवज्जोह नहीं दी इसीलिए यह पार्टी उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले चुनावों के मद्दे नज़र प्रियंका वाड्रा को आगे लाने पर विचार कर रही हैI पार्टी के इस कदम से उसे कितनी सफलता मिलेगी यह समय ही बतलायेगाI
पार्टी के खाते में केवल अपने भूत की उपलब्धियों को बताने के अलावा कोई भी ऐसी बात नहीं है जो वह आने वाले चुनाव में जनता को बता कर अपने पक्ष में वोट डालने के लिए मन सकेI इन बातों का जनता पर कितना असर होगा यह समय ही बताएगाI वैसे इस पार्टी का वर्षो पुराना बना हुआ पार्टी के कार्यकर्ताओं का आधार अभी भी पूरी तरह बिखरा नहीं है और यदि पार्टी का कोई नेता इन कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर इनमें जोश भर सके तो पार्टी प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैI
वैसे मेरा मानना है कि यदि पार्टी प्रियंका को मुख्य मन्त्री पद के लिए आगे लाये तो शायद पार्टी को अच्छी सफलता मिल सकती हैI साथ यदि पार्टी को अन्य धार्मिक समुदायों के वोटों को भी अपने पक्ष में करना है तो उसे अपने मुसलमानों की पार्टी वाले टैग को भी शीघ्र हटाना होगाI
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