Menu
blogid : 23100 postid : 1317796

पानी में रह कर मगर से बैर

बिखरे मोती
बिखरे मोती
  • 40 Posts
  • 28 Comments

लेखक :- अरुण गुप्ता

हमारे विधान सभा क्षेत्र के नेताओं के लिए आज कत्ल की रात है I अरे भाई डरो मत ! किसी नेता वेता  का कत्ल नहीं होने जा रहा है I  बात बस इतनी सी है कि कल सुबह इस क्षेत्र में वोट पड़ने जा रहें हैं सो एक को छोड़ कर बाकी प्रत्याशियों का तो वोटरों द्वारा कत्ल जैसा ही होगा I  खैर छोड़ो इन नेताओं के राजनीतिक कत्ल की बात ; यहाँ तो चुनाव के चक्कर में आज अपने घर में ही कत्ल-ऐ –आम होते –होते रह गया I

बेगम साहिबा अचानक हम से पूछ बैठी, “ ऐ जी सुनते हो इस बार किसको वोट दोगे ?”

इस सवाल  के उत्तर को लेकर हम बिलकुल तैयार नहीं थे बस हमारे मुँह से निकल गया कि बेगम, हमारी वोट है अपनी मर्जी से जिसे चाहेंगे दे देंगे,  आप से मतलब ?

“मियाँ , अब भला हम से मतलब क्यों होने लगा ? जब अपने प्यार की पतंग से हमारे संग पेंच लड़ाते थे तब तो बहुत मतलब था I वो तो हम ही बेवकूफ थे जो एक अनाड़ी के हाथों जान बूझकर उसका दिल रखने के लिए अपनी पतंग कटवा डाली I मियाँ हमें ये मतलब वगैरह ज्यादा मत समझाओ, हम बहुत समझे हुए है ?” बेगम ने खा जाने वाली नज़रों से हमें घूरते हुए कहा I

“बेगम हमारे और आपके इश्क का चुनाव में वोट डालने से भला क्या लेना देना ?  हमें वोट किसे देनी है ये फ़ैसला करने के लिए  हम आज़ाद हैं I”

“मियाँ , आज़ादी का मतलब भी समझते हो ! पहले अपनी अम्मी के पल्लू से बंधे रहते थे और शादी के बाद हमारे I”

“अरे बेगम , आप तो बिना कोई लिहाज़ किये सामने वाले को जलील कर देती हो I” हमने थोडा घिघियाते हुए कहा I

“ हमारे लिए बस सारी दुनिया में एक आप ही तो बचे हैं जलील करने के लिए I” ये कहकर बेगम ने अपने बातों का एक और तीर हमारी ओर फेंका I

हमने बात को बदलने के इरादे से कहा, “ बेगम, छोड़ो भी जाने दो क्यों अपना मूड खराब कर रही हो I इन नेताओं को लेकर हम आपस में क्यों मनमुटाव करें ?”

“मियाँ सीधे –सीधे क्यों नहीं कहते हो मैं लड़ने पर आमादा हूँ I ठीक है मियाँ , सब वक्त –वक्त की बात है I  वो दिन भी थे जब हमारे बिना बात के झगडा करने पर भी आप हम पर सौ-सौ जान फ़िदा हुआ करते थे I मियाँ, उस समय तो आप हमारे ऐसे दीवाने थे, यदि हम आपको नाली में भी वोट डालने के कह देते तो वही डाल देते I” ये कहकर बेगम ने  इमोशनल बातों के तीरों से हम पर वार किया I

“बेगम , आप भी बात को कहाँ से कहाँ खींच कर ले जा रही हैं I  इश्क तो एक रूहानी जज्बा है और वोट देना एक सामाजिक फर्ज I वोट देने का समय तो हर एक दो साल बाद आ ही जाता है जबकि इश्क तो जिंदगी में एक बार ही होता है I”

“वाह … वाह ! जज्बातों की आड़ लेकर किसी को चुप करना तो कोई आपसे सीखे ! आपके और आपकी उस कलमुंही स्टेनो के किस्से तो हमें आपके दुश्मनों ने ही सुनाये थे I वो तो हमारी हिम्मत थी जो  घर की इज्जत की खातिर जुबां  सीकर आपकी सारी करतूत दिल में दफ़न कर ली I हमारी जगह कोई  और होती तो अब तक आपको धक्के दे कर घर से बाहर कर दिया होता या खुद जहर खा लिया होता I” यह कह कर बेगम ने हम एक और तीखा हमला हम किया I

“अरे बेगम , आप भी भला सुनी सुनाई बातों पर भरोसा कर लेती हैं , आपको हम पर बस इतना ही भरोसा है क्या ?” यह कहकर हमने अपनी हिलती नींव को मजबूती देने की कोशिश की I

“ये मुआँ भरोसा ही तो है जो इतने दिन तक इस घर में टिकी हूँ I” बेगम ने यह कह कर हमारा दांव हम पर चल दिया I

बेगम ने फिर प्यार उड़ेलते हुए फिर अपना पुराना सवाल  हमारी उछाला, “ अच्छा, अब तो बता दो किसको वोट दोगे?”

किसी ने कहा है कि लड़ाई के मैदान में यदि सामने वाला मजबूत हो तो चुपचाप दुम दबाकर पतली गली से निकल जाना चाहिए लेकिन हमारी बदकिस्मती कि ये बात उस समय हमारे जेहन में ही नहीं आई और बस हमारे इस मुँह से निकल गया कि वैसे संविधान भी हमें अपनी वोट को गुप्त रखने का अधिकार देता है I

“यानि ये पूछ कर आप किसे वोट देंगे हम आपके अधिकारों का हनन कर रहें हैं I अब तो आप ये भी कहेंगे शादी के बाद से  मैंने आपके सारे अधिकारों को अपने कब्जे में कर आपको अपना गुलाम बना कर रख छोड़ा है I”

हमें अपनी ओर  टुकर-टुकर देखते हुए पाकर  बेगम ने अपने रुख को थोडा नर्म किया और बड़े ही रोमांटिक लहजे में हमसे कहा, “अच्छा चलो सीधे नहीं तो इशारों –इशारों में ही बता दो कि वोट किसे दोगे?”

“बेगम , इस बार तो हम नौजवानों की पार्टी को ही वोट देने का मन बना रहें हैं I”

“ तो हमारी पार्टी में ही नौजवानों की कौन सी कमी हैं , हजारों भरे पड़े है I बस हमारी पार्टी के नौजवान ज़रा जबान के ढीले हैं बोलने में चूक जाते है I

“बेगम नेता को अपनी जबान पर लगाम लगाना तो आना चाहिए I”

हमारी बात पर कान न देते हुए बेगम ने कहा, “तो इस बार आप भी उन्हें ही वोट देंगे जिन्होंने देश को पिछले कई दशकों से लूटा है I”

“बेगम इस लूट में कौन पीछे है? तुम्हारे वाले भी तो दो तीन बार सरकार बना चुके हैं लेकिन देश तो वहीं का वहीं खड़ा है I गरीब अभी भी उतना ही गरीब है I हाँ अमीर थोडा और अमीर हो गया है I”

“मियाँ , हमारे वाले पिछले चंद सालों से अमीर क्या होने लगे आपको तो मिर्चें ही लगने लगी और जब आपके वाले साल दर साल अमीर हो रहे थे तब तो आप होंठ सिये बैठे रहें I”

“बेगम , आपको पता है हमने कभी गलत का साथ नहीं दिया है; ये हम पर बिल्कुल  गलत इल्जाम है I  इस बार हम सोचते  है यदि कायदे के नौजवान आगे आयेंगे तभी जाकर इस देश की तरक्की और ये देश आगे बढ़ेगा I” ये कहते हुए हमने अपनी बात को जमाने की  कोशिश की I

“मियाँ रहने दो ये सब तरक्की वरक्की की बातें ! हमें सब पता है ये कौन सी तरक्की का खून बोल रहा है ? तुम्हारी दादी अम्मी  उस पार्टी की मेम्बरान थी जिसके सिर पर इस देश की आज़ादी पाने का सेहरा बंधा है और आपके अब्बा हुजूर  उस पार्टी के लीडर थे जो आजकल कुनबा परस्ती की आड़ में  समाजवाद का दम भर रही है  I”

हमने अपने खानदान को बीच में घसीटे जाते हुए देख कर कहा , “बेगम , आपसे बात करने से तो बेहतर है आदमी अपना सिर पत्थर से दे मारे I

“सही कह रहे हो मियाँ , कभी हमीं थे जब हमारी नजाकत को लेकर दिन रात शेर-ओ शायरी और गज़लें पढ़ते रहते थे I वाह री किस्मत ! अब हम तो पत्थर से भी गये बीते हो गए I” यह कह कर बेगम ने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया I

अब हमने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी I इस चुनाव के बाद प्रदेश में किसके घर बहार आएगी और किसके घर पतझड़ ये तो सब तो ऊपर वाला ही जाने लेकिन हमें तो ऐसा लगने लगा है कि हमारे घर में तो अभी से ही अगले पाँच सालों के लिए पतझड़ ने अपने पाँव पसार लिए हैं I खुदा ऐसे बुरे दिन का फेर दुश्मन के घर में भी न डाले I

“अब आप क्या करोगे ?”

“अब हम क्या करेंगे ?  हुजूर सवाल तो आप का बिल्कुल वाजिब है I  वैसे हमारे पास करने को है ही क्या ?  लेकिन फिर भी सोचते है कि कल ‘नोटा’ पर बटन दबाकर अपने दिल की कुछ भड़ास तो  इन नामुराद नेताओं पर निकाल ही दें I

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh